पेन किलर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पेन किलर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 11 जून 2013

शब्द

फराज से उधार

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ, फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

पहले से मरासिम1 न सही, फिर भी कभी तो
रस्मो-रहे-दुनिया ही निभाने के लिए आ

किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ 

अब तक दिले-ख़ुशफ़हम2 को हैं तुझसे उमीदें
ये आख़िरी शम्ऐं भी बुझाने के लिए आ

इक उम्र से हूँ लज़्ज़ते-गिरिया3 से भी महरूम
ऐ राहते-जां मुझको रुलाने के लिए आ

कुछ तो मेरे पिन्दारे-मुहब्बत4 का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ

माना कि मुहब्बत का छुपाना है मुहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ

जैसे तुम्हें आते हैं न आने के बहाने 
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ


ुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुु

कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते

ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू



रविवार, 16 दिसंबर 2012

हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है 
उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला
 
सरसराती सांस 

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये
 
जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं
उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये
 
बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये
 
ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये
 
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये      


 निदा फाजली