बुधवार, 5 दिसंबर 2012

साक्षात्कार

                                         आखिरी रास्ता  

तारीखः 04 दिसंबर
समय- देर रात 3 बजे
सारी कोशिशें करने के बाद भी चंदर को नींद नहीं आ रही थी और कभी वह चुकमुक होकर रजाई में खो जाता फिर एक झटके से रजाई फेंक देता...... सिलसिला रात साढे दस बजे से ही चल रहा था, जब चंदर की सुधा से फोन पर अंतिम बार बात हुई थी। सुधा अब ‘नए चंदर‘ के साथ इन चार दिनों में ही इतनी खुश हो गई थी कि उसने पहली बार तो चंदर से बात करने तक मना कर दिया फिर जब चंदर ने उसके भाई अनिकेत को आत्मदाह करने की धमकी दी तब जाकर सुधा बात करने को तैयार हुई थी.

सुधा ने अनिकेत को कहा था कि वह मुश्किल से उन यादों से खुद को बाहर ला पाई है! चंदर ने जब यह सुना तो सन्न सा रह गया। आखिर कैसे दो दिनों में दो सालों की यादों को डिलीट कर दिया सुधा ने, चंदर को यकीन नहीं आ रहा था अपने सुने पर! क्या सुधा की संवेदना मर चुकी है? सुधा के भैया की शादी भी आज ही तय थी ऐसे में हो सकता है कि अचानक इतनी खुशियों से चैंधियाई आंखें चंदर के तड़प तड़प कर दम तोड़ रही सांसें नहीं देख पा रही थीं!

रात एकदम शांत थी। कमरे का सीएफएल जलाकर चंदर बरामदे पर आया और खुद से बात करने की कोशिश  की। चंदर को पता था कि सुधा के "छल" को भुलाने के लिए उसके पास खुद से बात करने के अलावे और कोई विकल्प नहीं है। सुधा अगर अब चंदर को पहचान रही थी तो यही बहुत था चंदर के लिए! बदहवाश से हो चुके  चंदर ने इंग्लिश और हिन्दी में खुद से करीब दस मिनट बात किया... ठीक वैसे ही जैसे कोई पियक्कर करता है. इस दौरान इतना जोर-जोर से बोलने लगा कि बरामदे के उस ओर वाले कमरे में सोए उसके पिता जी की नींद खुल गई। बड़ी मुश्किल से चंदर ने उन दोनों को सुलाया और फिर लैपटाॅप खोलकर बैठ गया।
चंदर ने खुद का साक्षात्कार शुरू किया.....

क्यूं परेशान हो और घरवालों को भी परेशान कर रखा है?
सुधा पराई हो गई और रूप्यों के नशे में उसने मेरा समर्पण, त्याग और जो भी मैंने उसके लिए किया, उसने भुला दिया। इतिहास उसे कभी माफ नहीं करेगा।

तो?
तो क्या! मुझे उसकी याद आ रही है। उसके साथ बिताए एक-एक पल याद आ रहे हैं। मैं मर भी नहीं सकता और ऐसा जीना मरने जितना ही कष्ट दे रहा है।

सुधा में ऐसा क्या था?
उसकी फैमिली काफी अच्छी थी और हम एक जिले के ही थे।

मैंने पूछा सुधा में ऐसा क्या था?
सुधा में चरित्र था और वह मुझे बहुत प्यार करती थी। सुधा जितनी प्यार करने वाली लड़की अब मुझे कभी नहीं मिलेगी।

क्या तुम उसी सुधा के चरित्र के बारे में बात कर रहे हो जिसका जून में इंगेजमेंट हुआ और 19 जुलाई को अपने जन्मदिन पर वह तुम्हें नीम के पेड़ के ओट में किस दे रही थी?

कुछ रहस्य है इस सबके पीछे जो मैं नहीं जान पा रहा हूं लेकिन उसने जो भी किया होगा मजबूरी में किया होगा. कोई तो बात है जो मैं समझ नहीं पाया. प्यार अंधा होता है और संभव है उसने जो भी किया मेरे प्यार में किया होगा.

प्यार अंधा नहीं बल्कि तुम अंधे हो चंदर! तुम हमेशा उसकी गलतियों का बचाव करने लग जाते हो, यह मैं करीब दो सालों से देख रहा हूं। उसके लिए तुमने अपने परिवार के लोगों से कट्टी कर ली। खुद अंधे हो और प्यार को गाली दे रहे हो! ठीक हुआ तुम्हारे साथ!

सुधा ने भी तो मेरे लिए अपने घर में काफी कुछ सुना..... जलील हुई..... बेचारी..... फिर भी मुझसे बात करना नहीं छोड़ा कभी उसने!

तुम उसे बेचारी कह रहे हो जिसने इंगेजमेंट के बाद और शादी से तीन दिनों पहले तक तुम्हारे साथ रही और तुम्हें अपनी शादी की खबर तक नहीं दी। ये कैसा प्यार था?

उसे लगा होगा कि चंदर टूट जाएगा इसलिए उसने नहीं बताया होगा, मुझे कभी कभी लगता है जितनी सजा उसने मुझे दी है उससे कहीं ज्यादा उसने खुद को दी है।

चंदर तुम अंधे हो। तुम्हें लड़कियों की पहचान नहीं है और न ही तुम ठीक तरह से अभी परिपक्व हुए हो। लड़कियां सफल लोगों के पीछे ही होती हैं। उसने अब तक तुमसे नहीं बल्कि तुम्हारे कालेज के ब्रांड से प्यार किया था और जब उसे लगा कि तुम उसकी आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रहे हो तो उसने तुम्हें ठेंगा दिखा दिया और बैंक पीओ के साथ चली गई. इंसान से प्यार करने वाली लड़कियां अब कम बचीं हैं. ब्रांड का दौर है!

उसने कभी मुझसे कुछ नहीं मांगा। तुम उसको लेकर मेरे मन में नफरत पैदा करना चाहते हो इसलिए ऐसा कह रहे हो। सुधा ने जो भी किया मजबूरी और विवशता में किया होगा।

कैसी विवशता?
उसने एक बार कहा था कि उसे गंभीर बीमारी है और उसे इलाज के लिए बहुत पैसे चाहिए होंगे जो मैं नहीं दे पाउंगा इसलिए मैं उसकी जान बचाने की खातिर उसकी शादी उसके पिता जी के मर्जी से हो जाने दूं। उसने यह भी कहा था  कि वह शायद कभी मां नहीं बन पाएगी। उसकी किडनी में कुछ खराबी है!

यह उसने कब कहा?
ठीक तरह से याद नहीं है!

बस इतना बताओ कि अपने बर्थ डे के बाद या पहले?
बर्थ डे के बाद अगस्त या सितम्बर में!

एक बात बता कि अगर उसे ऐसा कुछ था तो वह तुम्हें पहले भी तो बोल सकती थी। इंगेजमेंट के बाद क्यूं बोला?
शायद उसे बाद में ही पता चला होगा इसलिए। इसमें उसकी क्या गलती है! परिवार वालों ने उससे यह सच छुपाया होगा इसलिए उसे पता नहीं होगा. जीना कौन नहीं चाहता?

तू फिर उसका डिफेंस कर रहा है। तू अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि उसने तेरा जमकर यूज किया, जितना सहानुभूति, साथ और प्यार तुझसे ले सकती थी, उसने ले लिया और फिर तेरी कंगाली को ठेंगा दिखाते हुए बैंक पीओ के पास चली गई। मां न बनने वाली बात कहकर उसने एक तीर से दो शिकार कर लिया। पहला तुमसे सहानुभूति जीत ली और दूसरा उसने यह भी जता दिया कि वह तुमसे अलग होकर तुमपर ही उपकार कर रही है।
सुधा ऐसी नहीं है।

तो फिर कैसी है तुम्हारी सुधा? अब भी आंख खोल लो और चीजों को फिर से पहचानना शुरू करो.
मैं क्या करूं? मैं सुधा को हर्ट नहीं करना चाहता, वह गलत हो तो भी नहीं!

अच्छा एक बात बता सुधा में ऐसा क्या था जो तू उसके एक बुलावे पर दिल्ली से आ जाता था और पूरी सैलरी उसपर लुटाने को आतुर हो जाता था?
सुधा का कोई भी सपना पूरा नहीं हो पाया था. बेचारी अपना डाॅक्टर बनने का सपना पूरा नहीं हो पाने के कारण काफी टूट गई थी। मैं उसे इस सदमे से निकालना चाहता था। मैं उसे आत्मनिर्भर बनाना चाहता था और इसलिए मैंने झूठ-सच बोलकर उसे एक सर और अपने भैया के यहां पढने भी भेजा था। उसे घर में मन नहीं लगता था क्योंकि उसके सब भाई और बहन अच्छी जगहों पर पढ रहे थे वही बेचारी घर में पड़ी रहती थी।

तो क्या हुआ जब तुमने उसे यहां-वहां पढने भेजा?
मैं उसका फीडबैक सर से और भैया से फोन पर लेता रहता था। लेकिन फीडबैक अच्छा नहीं आता था। सर कहते थे कि इसे शुरू से बताना पड़ेगा मैंने उसे एनसीईआरटी की किताबें भी खरीदवाई थी और उसे नियमित इंटरनेट पर भी जाने को कहता था। मैंने कई बार उसे द हिन्दू अखवार और बिजनेस स्टैंडर्ड लेने को कहा था लेकिन किसी मजबूरी के कारण वह ये सब नहीं कर पाई थी। इसके लिए मैं उसे डांटता भी था। मुझे लगता है मेरी डांट के कारण ही वह मुझे छोड़ कर चली गई क्योंकि मैं उसे कभी प्यार नहीं करता था, हमेशा डांटता ही था।

भोले तू और भोला मत बन वरना अगली बार कोई सुधा मिलेगी तो अपनी शादी करने से पहले तुझे धोखे से जान से मार देगी। इसने तो छोटा धोखा किया तेरे साथ शुक्र मना कि तू जिन्दा है! वरना लड़कियों को जानना हर किसी के बश में नहीं है..... अच्छा ये बता कि उसका सबसे ज्यादा इंटरेस्ट किसमें था?
ब्यूटी पार्लर जाने में।

तुझे कैसे पता?
दो सालों में इतना तो पता चल ही जाता है। उसका पढाई में इंटरेस्ट कम हो चुका था. वह टूट चुकी थी शायद और लंबे समय से चार दिवारी में रहने के कारण यह स्वाभाविक था. मैं उसके मुंह से यह सुनने को तरस गया था कि ... मुझे यह फाॅर्म भरना है.... मुझे यह किताब लेनी है.... अभी पढ रही हूं बाद में फोन करेंगे.... वगैरह वगैरह.....। उसके जन्मदिन पर मैं उसे ब्यूटी पार्लर से उसके घर तक बाइक पर ले गया था। उस दिन वह बहुत सुंदर लग रही थी हरे कपड़ों में! मैं उसे देखा तो देखता ही रह गया था। इससे सुंदर वह बस दिवाली की उस रात को ही लगी थी।

तुझे उसमें सबसे अच्छा क्या लगता था?
उसकी नाक।

ऐसा क्या था उसके नाक में?
ये सिर्फ मुझे पता है! मजबूर शहर में जब मैं उसे बाइक पर घुमाने दूर तक लाया था तो एक जगह मैंने उसके नाक को बड़े रोमांटिक अंदाज में चूमा था। वह पल मैं कभी नहीं भूल पाउंगा.....

... और उसमें तुझे सबसे बुरा क्या लगता था?
उसकी उंगली। मुझे लंबी उंगलियां पसंद नहीं हैं। उसकी उंगलियां उसके पापा पर गई हैं।

उसके साथ बिताया सबसे अच्छा पल कौन सा था?
पिछले साल अगस्त की वह शाम जब मजबूर शहर से दूर हम और वो बाइक पर आए थे। मैं उसके लिए पनीर और पुलाउ बना कर लाया था। दूर जंगल में मैंने उसे अपने हाथों से पनीर खिलाया था... खाने के बाद हम दोनों एक दूसरे में कुछ देर के लिए खो गए थे। वह पल मेरी जिंदगी का ऐतिहासिक पल था। पहली बार ऐसा हो रहा था. इन सब पलों के कारण ही आज सुधा को भुलाने में मुझे इतनी दिक्कत हो रही है। पता नहीं उसने इन पलों को कैसे भुलाया होगा!

अब वो इतने अमीर घराने में गई है कि अब पिकनिक पर बाइक से नहीं बल्कि चारपहिए से जाएगी। और हां... पुलाउ पनीर नहीं अब उसका बैंक पीओ पति उसे मटन खिलाएगा!

........

रोने से क्या फायदा है?
........

तो फिर रो और मर जा लेकिन याद रख तेरी अर्थी भी अगर सुधा के दरवाजे से निकलेगी तो सुधा उस ओर झांकेगी नहीं। लड़कियों की पहचान नहीं है तुम्हें! अगर होती तो इस तरह ये हाल नहीं होता तेरा!....... अच्छा ये बता उसके साथ बिताया सबसे बुरा पल कौन सा था?
इसी साल उसके जन्मदिन पर जब मैं शिवपालगंज के टाउनशिप में आहार उत्सव में उसे पार्टी देने के बाद निकला तो वह घर जाने की जल्दीबाजी करने लगी। मैं अपना हेलमेट रेस्टोरेंट में ही भूल गया था। जब मैं हेल्मेट लेकर लौटा तो वह किसी से फोन पर बात कर रही थी। मैंने उससे पूछा नहीं। इसके बाद जब मैं उसके साथ टाउनशिप के चक्कर लगा रहा था तो उसने मुझे खूब डांटा क्योंकि वह घर में झूठ बोलकर आई थी और उसे देर हो रहा था।

तुमने ये जानने की कोशिश क्यूं नहीं की कि वह फोन पर किससे बात कर रही थी?
मुझे इसकी जरूरत महसूस नहीं हुई। मुझे उसपर विश्वास था..... शायद वह उस दिन धीरज से बात कर रही होगी जो अब उसका ‘‘नया चंदर‘‘ है।

सुधा से मिलने से पहले तू कैसी जीवनसाथी के सपने देखता था?
ठीक तरह से याद नहीं है क्यूंकि सपने बासी हो गए लेकिन कुछ कुछ याद है मसलन उसकी उंगलियां छोटी हों, हंसते वक्त गाल पर डिंपल बन जाए, वह जुनूनी हो और अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोझ लेकर नहीं चलती हो... चश्मा हो तो फिर क्या कहना! चश्मा पढाकू लड़कियों की पहचान है और मेरी पत्नी अगर बिना चश्मा की हुई तो मैं उसे जबर्दस्ती चश्मा पहनाउंगा!

सुधा के बाद अब तू कैसी जीवनसाथी के सपने देखता है?
जिसमें दूर दूर तक सुधा की परछाई भी न हो!

अगर हुआ तो?
नहीं होगा. मैंने किसी के साथ बुरा नहीं किया तो मेरे भी साथ बुरा नहीं होगा इतना मुझे विश्वास है।

लेकिन तुम्हारे साथ तो बुरा हो गया..... सुधा तेरे स्टेटस को ठेंगा दिखा गई!
जो हो गया सो हो गया। मैं अब सुधा को याद ही नहीं करना चाहता हालांकि ये मुश्किल है फिर भी मैं कोशिश  कर रहा हूं।

अगर समय का पहिया वापस घुमे तो तुम अपनी जिंदगी दुबारा कहां से शुरू करना चाहोगे?
22 अगस्त, 2010 को, जब मेरी और सुधा की पहली बार बात हुई थी।

अगर अल्ला तुझे सुधा को सजा देने को कहे तो उसे कौन सी सजा दोगे?
सुधा को लड़का बनाकर उसपर अपने जितनी जवाबदेहियां लाद दूंगा और फिर उसे ऐसी ही चोट दूंगा जो वह और उस जैसी लड़कियां लड़कों को देती हैं!

किसी बात का अफसोस जो आगे रहेगा?
कई बातों का अफसोस रहेगा। सबसे अधिक अफसोस इस बात का रहेगा कि मैं अपनी होने वाली जीवनसाथी के सामने नजर नहीं मिला सकूंगा क्यूंकि सुधा के स्पर्श से मैं खुद को अपवित्र समझने लगा हूं। मुझे घिन्न सी आती है अब खुद से शायद उसे भी आती होगी.

किसी बात की तसल्ली?
सबसे बड़ी तसल्ली इस बात की है कि मैंने सुधा के साथ कभी गलत नहीं किया। शादी की रात मैंने आवेग में उसे काफी बुरा भला भी कहा था लेकिन बाद में मैंने माफी मांग ली। पांच दिसम्बर को जब मैं उसके घर पर उसके भैया से मिलने गया तो उस वक्त मेरा गुस्सा चरम सीमा पर था। मैं सीधा उसके घर में घुस गया और सुधा दिख गई लेकिन मुझे अब तक उससे इतनी घिन्न हो चुकी थी कि मैं उसे कुछ बोल न सका।

तुम क्या चाहते हो? क्या ऐसा है जो तुम्हें मिल जाए तो तुम शांत और पहले जैसे सदाबहार हो जाओगे?
भरोसा एक ही बार टूटता है। सुधा मेरी आस्था थी, जो दरक गई। क्या कोई मुझे वो असंख्य क्षण लौटा सकेगा जिसपर मैंने सिर्फ सुधा को हक दिया था। घर और परिवारवालों का फोन मैं न भी लेता लेकिन सुधा का फोन काटकर आॅफिस के नंबर से उसे फोन करता और जबतक उसके भैया, मम्मी या कोई नहीं आ जाते मैं फोन नहीं रखता। मुझे इस कारण आॅफिस में डांट भी लगी थी कि मैं फोन पर घंटों लगा रहता हूं लेकिन जिस सुधा के लिए मैंने घरवालों की ही परवाह नहीं की उसके लिए एडिटर की क्यूं सुनता!

अब आगे ?
इस घटना के बाद सोच रहा हूं कि कभी शादी ही न करूं! अगर सुधा जैसी कोई पत्नी मिल जाती है तो मैं उसे जान से मार दूंगा। सुधा के कारण मुझे अब सभी लड़कियों पर शक होने लगा है और ऐसे में मेरा वैवाहिक जीवन हमेशा तनावपूर्ण बना रहेगा इससे अच्छा है कि मैं शादी ही न करूं!


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